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पके पेड़ पर पका पपीता का मतलब | मजेदार टंग ट्विस्टर वाक्य

भाषा एक ऐसा मानव अविष्कार है, जिसके बगैर शायद आज मनुष्य इतना आगे तक नहीं पहंच पाता। भाषा की मदद से ही इंसान एक दूसरे के साथ अपनी बातें और भाव तथा विचार का आदान प्रदान करने में सक्षम हो पाता है। भाषा की मदद से न सिर्फ हम एक दूसरे से भाव का आदान प्रदान करते है बल्कि पुरखों का ज्ञान भी हम भाषा के मदद से संभाल के रखते है। स्वागत करते है आप सबका आज के इस ब्लॉग में, जिसमे आज कुछ हटके तथा हास्यपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे। आज का शीर्षक “पके पेड़ पर पका पपीता का मतलब” में इसके बारे में काफी कुछ सीखेंगे –

पके पेड़ पर पका पपीता का मतलब

दोस्तों आपको बता दें की यह एक Tongue Twister है, अक्सर हम हिंदी तथा अंग्रेजी भाषा में कई सारे टंग ट्विस्टर देखते आये है। बचपन में हमे बड़ो के द्वारा यह सब बताया तथा सिखाया जाता था। यह एक दो वाक्य तथा कभी कभी चार पांच वाक्य के होते थे, जिन्हें हम जल्दी जल्दी बोलना था। 

यह काफी मजेदार होने के साथ साथ पेचीदा भी होता था। अक्सर बचे बिच बिच में उटपटांग शब्दों का इस्तेमाल कर लिया करते थे, क्यों के जल्दी जल्दी बोलने पर इसके सारे शब्द सठीक रूप से उच्चारण नहीं हो पाते थे। ऐसे ही मजेदार वाक्य को बोलकर काफी हंसी आती थी। चलिये इसके पुरे अंश को देखते है।

“पके पेड़ पर पका पपीता, पके पेड़ या पका पपीता, पके पेड़ को पकडे पिंकू, पिंकू पकडे पका पपीता ।”

जैसे की आप सब देख पा रहे है कि यह सरल हिंदी भाषा में लिखे हुए चार पंक्तियों का एक काव्य के तरह है। इसका शाब्दिक अर्थ भी काफी आसान ही है।

पके पेड़ पर पका पपीता ” इसमें एक पपीते के पेड़ के बारे में बताया जा रहा है जिसमे के पापिपे पके हुए है, “पका पेड़ या पका पपीता“- इसमें उस पेड़ और पपीते के  बिच में किसी एक को चुनने की बात हो रही है , ” पके पेड़ को पकडे पिंकू, पिंकू पकडे पका पपीता” – इसमें एक लड़का जिसका नाम पिंकू है, वो कभी उस पेड़ को पकड़ता है तो कभी पपीते को.

निजी विचार के बारे में पूछे तो, ऐसे टंग ट्विस्टर का आम जिंदेगी में कोई खास मतलब नहीं बनता, परंतु यह मनोरंजन के काम जरूर आते है। कुछ हद तक ऐसे टंग ट्विस्टर हमे मदद भी जरूर करते है, चलिये एक झलक उन बातों पर भी डाली जाये।

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टंग ट्विस्टर के फायदे –

आपको टंग ट्विस्टर हर भाषा में देखने को मिल जायेंगे, और अक्सर इन्हें बचों को ही सिखाते हुए देखे जा सकते है। परंतु यह सिर्फ बचों को ही क्यों सिखये जाता है? अपने कभी गौर किया इस बात पर ! चलिये समझते है इसके पीछे के तात्पर्य को।

ऐसी टंग ट्विस्टर पर अगर आप गौर करेंगे तो ऐसे शब्दों के क्रम में आपको काफी आसान तथा एक दूसरे से मेल खाते शब्द पास पास ही देखने को मिल जायेंगे। 

आप किसी भी अंग्रेजी सीखने वाले अनुष्ठान में जाकर या फिर यूट्यूब चैनल पर देख सकते है, वे आपको अंग्रेजी सिखाते सिखाते बिच बिच में ऐसे ही टंग ट्विस्टर को भी सिखाया करते है, जिससे के आप सामान शब्दो के बीच का अंतर साठीकता से समझ तथा उच्चारण कर पाये।

हिंदी में ऐसे कुछ और टंग ट्विस्टर –

चलिये हम आपको बताते है हिंदी के कुछ ऐसे ही और टंग ट्विस्टर जिनको पढ़कर आपको जरूर मजा आजायेगा।

” खड़क सिंह के खड़कने से खड़कती है खिड़कियां, खिड़कियों के खड़क ने से खड़कता है खड़क सिंह “

“समझ समझ के समझ को समझो, समझ समझ ना भी एक समझ है, समझ समझ के जो ना समझे, मेरी समझ में वो नासमझ है।”

” चंदू के चाचा ने चंदू के चची को, चांदनी-चौक में चांदनी रात में, चांदी के चमच्च से चटनी चटाई”

” डाली डाली पे नजर डाली, किसीने अछि डाली किसीने बुरी डाली, जिस डाली पे मैने नजर डाली उस डाली को किसी ने तोड़ डाली “

आशा है आपको हमारा यह पोस्ट जरूर पसंद आया होगा, अपने राय हमे कमेंट्स में देना न भूले।

आपने क्या सीखा?

हमे आशा है की आपको Pake ped pe paka papita ( पके पेड़ पर पका पपीता ) विषय के बारे में दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। अगर आपको इस विषय के बारे में कोई Doubts है तो वो आप हमे नीचे कमेंट कर के बता सकते है। आपके इन्ही विचारों से हमें कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मोका मिलेगा।

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