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नार्को टेस्ट से क्या पता चलता है, समझें आसान भाषा में

नार्को टेस्ट एक विशेष तरीका है जो विशेषज्ञों को यह पता लगाने में मदद करता है कि क्या कोई व्यक्ति झूठ बोल रहा है या नहीं। सीमा हैदर केश को मीडिया में बड़ी कवरेज मिलने के कारण, नार्को टेस्ट के बारे में लोगों की उत्सुकता बढ़ी है. इस पोस्ट में हम आपको बतायेंगे कि नार्को टेस्ट क्या है और इस से क्या पता चलता है –

नार्को टेस्ट क्या है?

आपको बता दें कि नार्को टेस्ट में आरोपी व्यक्ति को एक विशेष प्रकार की साइकोएस्टिव दवा दी जाती है, जिसके असर से वह सम्मोहन अवस्था में चला जाता है। इस दौरान उसका दिमाग, सोंचने या कल्पना करने में असक्षम हो जाता है। इसी सिचुएशन का फायदा उठाकर पूँछतांछ करने वाली टीम जैसे पुलिस, सीबीआई आदि आरोपी से सच उगलवा लेते हैं।

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नार्को टेस्ट से क्या पता चलता है

इस टेस्ट से सीधे तौर पर कहें तो झूंठ बोलने का पता चल जाता है। नार्को टेस्ट वर्तमान में पुलिस या विशेष जांच करने वाली सरकारी संस्थाओं द्वारा अपराधी से सच या महत्वपूर्ण सुराग पता करने में किया जाता है।

अगर बात करें नार्को टेस्ट जैसे अन्य टेस्ट की तो उनमे खासकर पॉलीग्राफ, लाईडिटेक्टर टेस्ट और ब्रेन मैपिंग टेस्ट भी काफी कारगर हैं.

नार्को टेस्ट के साइड इफेक्ट्स –

  • नार्को टेस्ट लोगों के मन में अलग तरह का एहसास करा सकता है।
  • वे अधिक आसानी से नाराज़ या चिंतित हो सकते हैं।
  • कभी-कभी, उन्हें चीजों को लंबे समय तक याद रखने में परेशानी हो सकती है या लंबे समय तक चिंता महसूस हो सकती है।
  • नार्को टेस्ट में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं आमतौर पर स्वस्थ व्यक्ति पर ज्यादा बुरा प्रभाव नहीं डालती हैं
  • इन दवाओं के अधिक सेवन से नींद आने लगती है, तो उसके लिए सांस लेना मुश्किल हो सकता है.
  • हार्ट अटैक का भी खतरा हो सकता है।

सारांश –

इस पोस्ट में हमने नार्को टेस्ट से क्या पता चलता है, से जुड़ी जानकारियां दी हैं, उम्मीद है यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अन्य लोगों को भी शेयर कर सकते हैं।

 

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